Tuesday, July 22, 2008

रिमझिम गिरे सावन ......

रिमझिम गिरे सावन सुलग सुलग जाए मन
भिगे आज इस मौसममें लगी कैसी ये अगन

पहले भी युँ तो बरसे थे बादल
पहले भी युँ तो भीगा था आँचल
अबके बरस क्युँ सजन सुलग सुलग जाए मन
भिगे आज इस मौसमें लगी कैसी ये अगन

इस बार सावन बहका हुआँ है
इस बार मौसम बहका हुआँ है
जाने पीके चली क्या पवन
सुलग सुलग जाए मन
भिगे आज इस मौसममें लगी कैसी ये अगन

गीतकार - योगेश , चित्रपट - मंजिल








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