श्रावणमासी हर्षमानसी हिरवळ दाटे चोहिकडे
क्षणात येती सरसर शिरवे क्षणात फिरुनी ऊन पडे
वरती बघता इंद्रधनुचा गोफ दुहेरी विणलासे
मंगल तोरण काय बांधले नभोमंडपी कुणी भासे
झालासा सूर्यास्त वाटतो, सांज -अहाहा तो उघडे
तरुशिखरांवर उंच घरांवर पिवळे पिवळे ऊन पडे
उठती वरती जलदांवरती अनंत संध्याराग पहा
सर्व नभावर होय रोखिले सुंदरतेचे रुप महा
बलाकमाला उडता भासे कल्पसुमांची माळचि ते
उतरुनि येती अवनीवरती ग्रहगोलचि की एकमते
फडफड करुनि भिजले अपुले पंख पाखरे सावरती
सुंदर हरिणी हिरव्या कुरणी निजबाळांसह बागडती
खिल्लारे ही चरती रानी गोपही गाणी गात फिरे
मंजूळ पावा गाई तयांचा श्रावण महिमा एकसुरे
सुवर्ण चंपक फुलला विपिनी रम्य केवडा दरवळला
पारिजातही बघता भामा रोष मनीचा मावळला
सुंदर परडी घेऊनि हाती पुरोपकंठी शुध्दमती
सुंदर बाला या फुलमाला रम्य फुले पत्री खुडती
देवदर्शना निघती ललना हर्ष मावे ना हृदयात
वदनी त्यांच्या वाचून घ्यावे श्रावण महिन्याचे गीत
कवी - बालकवी
सुहाना सफर और ये मौसम हँसी
हमें डर है हम खो न जाए कही
सुहाना सफर और ये मौसम हँसी
ये कोन हँसता है फूलोमें छुपकर
बहार बेचैन है जिसकी धुनपर
कही गुनगून कही रुनझून
के जैसे नाचे जमी
ये गौरी नदियों का चलना उछलकर
के जैसे अल्हड चले जिसपे मिलकर
प्यारे प्यारे ये नजारे निसार है पर कही
वो आसमाँ झुक राहा है जमी पर
ये मीलन हमने देखा यही पर
मेरी दुनिया मेरे सपने मिलेंगे शायद यही
चित्रपट - मधुमती
Tuesday, July 29, 2008
रजनीगंधा फूल तुम्हारे .....
रजनीगंधा फूल तुम्हारे महेके युही जीवनमें
युही महेके प्रीत पियाकी मेरे अनुरागी मनमें
अधिकार ये जबसे साजन का हर धडकन पर माना मैने
मै जबसे उनके साथ बंधी ये भेद तभी जाना मैने
कितना सुख है बंधनमें
हर पल मेरी इन आँखोमे बस रहते है सपने उनके
मन कहता है मै रंगोंकी ये प्यार भरी बदली बनके
बरसु उनके आँगनमे
गीतकार - योगेश
चित्रपट - रजनीगंधा
युही महेके प्रीत पियाकी मेरे अनुरागी मनमें
अधिकार ये जबसे साजन का हर धडकन पर माना मैने
मै जबसे उनके साथ बंधी ये भेद तभी जाना मैने
कितना सुख है बंधनमें
हर पल मेरी इन आँखोमे बस रहते है सपने उनके
मन कहता है मै रंगोंकी ये प्यार भरी बदली बनके
बरसु उनके आँगनमे
गीतकार - योगेश
चित्रपट - रजनीगंधा
Tuesday, July 22, 2008
रिमझिम गिरे सावन ......
रिमझिम गिरे सावन सुलग सुलग जाए मन
भिगे आज इस मौसममें लगी कैसी ये अगन
पहले भी युँ तो बरसे थे बादल
पहले भी युँ तो भीगा था आँचल
अबके बरस क्युँ सजन सुलग सुलग जाए मन
भिगे आज इस मौसमें लगी कैसी ये अगन
इस बार सावन बहका हुआँ है
इस बार मौसम बहका हुआँ है
जाने पीके चली क्या पवन
सुलग सुलग जाए मन
भिगे आज इस मौसममें लगी कैसी ये अगन
गीतकार - योगेश , चित्रपट - मंजिल
भिगे आज इस मौसममें लगी कैसी ये अगन
पहले भी युँ तो बरसे थे बादल
पहले भी युँ तो भीगा था आँचल
अबके बरस क्युँ सजन सुलग सुलग जाए मन
भिगे आज इस मौसमें लगी कैसी ये अगन
इस बार सावन बहका हुआँ है
इस बार मौसम बहका हुआँ है
जाने पीके चली क्या पवन
सुलग सुलग जाए मन
भिगे आज इस मौसममें लगी कैसी ये अगन
गीतकार - योगेश , चित्रपट - मंजिल
Friday, July 18, 2008
एका तळ्यात होती........
एका तळ्यात होती, बदके पिले सुरेख
होते कुरूप वेडे, पिल्लू तयांत एक
कोणी न त्यास घेई, खेळावयास संगे
सर्वांहूनी निराळे ते वेगळे तरंगे
दावूनी बोट त्याला, म्हणती हसून लोक
आहे कुरूप वेडे, पिल्लू तयांत एक
पिल्लास दुःख भारी, भोळे रडे स्वतःशी
भावंड ना विचारी, सांगेल ते कुणासी?
जे ते तयास टोची, दावी उगाच धाक
आहे कुरूप वेडे, पिल्लू तयांत एक
एके दिनी परंतु, पिल्लास त्या कळाले
भय वेड पार त्याचे, वाऱ्यासवे पळाले
पाण्यात पाह्ताना, चोरूनिया क्षणैक
त्याचेच त्या कळाले, तो राजहंस एक
गीत : ग. दि. माडगुळकर
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