Thursday, August 28, 2008
Thursday, August 07, 2008
Tuesday, August 05, 2008
कहीं दूर जब दिन ढल जाए .......
कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँज की दुल्हन बदन चुराए चुपकेसे आए
मेरे खयालो के आँगनमें कोई सपनोंके दीप जलाए दीप जलाए
कहीं दूर......
कभी युही जब हुई बोझल साँसे, भर आई बैठे बैठे जब युही आँखे
तभी मचलके प्यार से छलके छुए कही मुझे पर नजर ना आए नजर ना आए
कहीं दूर.......
कहीं तो ये दिल कभी मिल नही पाए, कहींसे निकल आए जन्मोंके नाते
घनी थी उलझन बैरी अपना मन अपनाही होके सहे दर्द पराए दर्द पराए
कही दूर.......
दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे, हो गए कैसे मेरे सपने सुनहेरे
ये मेरे सपने यही तो है अपने मुझसे जुदा न होंगे इनके ये साए इनके ये साए
कहीं दूर.....
गीतकार - योगेश, चित्रपट - आनंद
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