ओहरे ताल मिले नदी के जलमें
नदी मिले सागरमें
सागर मिले कौनसे जममें
कोई जाने ना
सूरज को धरती तरसे धरती को चंद्रमा
पानी में सीप जैसे प्यासी हर आत्मा
बुँद छुपी किस बादलमें कोई जानेना
अनजाने होंठो पर क्युँ पहचाने गीत है
कल तक जो बेगाने थे जन्मोंके मीत है
क्या होगा कोनसे पलमें कोई जाने ना
ओहरे ताल मिले नदी के जलमें
गीतकार : इंदिवर - संगीत - रोशन - चित्रपट - अनोखी अदा - गायक - मुकेश
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment