Friday, May 14, 2010

फूल तुम्हें भेजा है खतमें ....










फूल तुम्हें भेजा है खतमें फूल नही मेरा दिल है
प्रियतम मेरे मुझको लिखना क्या ये तुम्हारे काबील है
प्यार छुपा है खतमें इतना जितने सागरमें मोती
चूम ही लेता हात तुम्हारा पास जो तुम मेरे होती

फूल तुम्हें........

नींद तुम्हें तो आती होगी क्या देखा तुमने सपना
आँख खुली तो तनहाई थी सपना हो न सका अपना
तनहाई हम दूर करेंगे ले आओ तुम शहनाई
प्रीत बढाकर भूल न जाना प्रीत तुम्हींने सिखलाई

फूल तुम्हे...........

खतसे जी भरता ही नही अब नैन मिले तो चैन मिले
चाँद तुम्हारे अंगना उतरे कोई तो ऐसी रैन मिले
मिलना हो तो कैसे मिले हम मिलनेकी सूरत लिख दो
नैन बिछाए बैठे है हम कब आओगे खत लिख दो

फूल तुम्हे.....

No comments: