Friday, April 23, 2010

खिलते है गुल यहाँ ....





























खिलते है गुल यहाँ खिलके बिखरनेको
मिलते है दिल यहाँ मिलके बिछडनेको

कल रहे ना रहे मौसम ये प्यारका
कल रुके ना रुके डोला बहार का
चार पल मिले जो आज प्यारमें गुजार ले

झीलोंके होठोंपर मेघोंका राज है
फुलोंके सीनेमें ठंडी ठंडी आग है
दिलके आईनेमें तू ये समा उतार ले

प्यासा है दिल सनम प्यासी ये रात है
होठोंमें दबी दबी कोई मिठी बात है
इन लम्होंपे आज तू हर खुशी निसार दे

कवी : नीरज, चित्रपट : शर्मिली, संगीत : सचिन देव बर्मन

2 comments:

काल निर्णय said...

सुंदर गाणं आणि अप्रतीम फोटोज!! खूपच मस्त काँबिनेशन आहे!!

rohinivinayak said...

abhiprayabaddal anek dhanyawaad sandeep!!! mala he gane khupach aavadate. aani sadhya aamchya apt chya samor 2 gulab ropti aahet tyala anek kalya aalya aahet, aanit tyache photos kiti gheoo n kiti nahi ase mala jhale hote. tumhala donhihi aavale he vachun khup khup chhan vatle! thanks a lot!!