Thursday, September 25, 2008

४ सी अग्रेसर, अंधेरी, मुंबई




जिंदगी, जिंदगी मेरे घर आना, आना जिंदगी
जिंदगी, हो जिंदगी मेरे घर आना, आना, मेरे घर आना, जिंदगी....

मेरे घर का सीधासा इतना पता है
मेरा घर जो है चारो तरफसे खुला है
न दस्तक जरूरी, न आवाज देना
मेरे घर का दरवाजा कोई नही है
है दिवारे गुम और छत भी नही है
कडी धूप है तो, कडी धूप है तो
तेरे आँचल का साया चुराके
जीना है जीना जिंदगी, हो जिंदगी, मेरे घर आना आना जिंदगी....

मेरे घर का सीधासा इतना पता है
मेरे घर के आगे मुहोबत लिखा है
न दस्तक जरूरी ना आवाज देना
मै साँसोकी रफ्तारसे जान लुँगी
हवाओंकी खुशबुसे पहचान लुँगी
तेरा फूल हुँ तो तेरी धूल हँ तो
तेरे हाथोमें चेहरा छुपाके
जीना है जीना जिंदगी, हो जिंदगी, मेरे घर आना आना जिंदगी....

मगर अब जो आना तो धीरेसे आना
यहाँ एक शहजादी सोयी हुँयी है
ये बगीयोंके सपनोमें खोई हुँयी है
बडी खूब है ये, तेरा रूप है ये
तेरे आँगनमें तेरे दामनमें
तेरी आँखोपें तेरे पलकोंपे
तेरे कदमोपें इसको बिढाके
जीना है जीना जिंदगी, हो जिंदगी, मेरे घर आना आना जिंदगी....

चित्रपट - दूरियाँ , संगितकार -जयदेव

1 comment:

CHARWAK said...

Thanks 4 scrap.
One suggestion. U asked me about the competition's result through orkut scrap. but, I' cld'nt reply,
as it wasn't allowed. So, pl. keep
comm. passage open. Now, about BLOG MAJHA results.
We'd extended the entry date for blogs till 30 sept. hence, result will be announced in the month of oct. in the first week. on sat. 8 p.m.
Thanks