Monday, August 22, 2016

ओहरे ताल मिले नदी के जलमें

ओहरे ताल मिले नदी के जलमें
नदी मिले सागरमें
सागर मिले कौनसे जममें
कोई जाने ना

सूरज को धरती तरसे धरती को चंद्रमा
पानी में सीप जैसे प्यासी हर आत्मा
बुँद छुपी किस बादलमें कोई जानेना

अनजाने होंठो पर क्युँ पहचाने गीत है
कल तक जो बेगाने थे जन्मोंके मीत है
क्या होगा कोनसे पलमें कोई जाने ना

ओहरे ताल मिले नदी के जलमें

गीतकार : इंदिवर - संगीत - रोशन - चित्रपट - अनोखी अदा - गायक - मुकेश